बिहार में अब बिना ज़मीन के 4 लाख में तैयार हो जाएगा घर, बिना रजिस्ट्री रहिए नहर, नदी और बाढ़ वाले इलाक़े में

  • बिहार में बाढ़ की समस्या: हर साल बाढ़ के कारण बिहार में कई लोग जान गंवाते हैं और संपत्ति को नुकसान होता है।
  • वैश्विक परिप्रेक्ष्य: ध्रुवीय बर्फ के पिघलने से समुद्र का स्तर बढ़ रहा है।
  • फ्लोटिंग हाउसेज: बक्सर, बिहार में फ्लोटिंग हाउसेज का एक एक्सपेरिमेंटल प्रोजेक्ट चल रहा है।
  • प्रोजेक्ट की लागत: इसके प्रोटोटाइप में अब तक चार लाख की लागत आई है।
  • घर की सुविधाएं: तीन कमरे, वैदिक रसोईघर, हरित शौचालय बनाये जा रहे हैं।
  • बेस प्लेटफॉर्म: घर का बेस प्लेटफॉर्म प्लास्टिक के पुराने ड्राम का है।
  • स्थानीय सहयोग: निर्माण में स्थानीय ग्रामीण युवक लगे हैं।
  • अंतरराष्ट्रीय सहयोग: प्रोजेक्ट में विभिन्न देशों के वॉलेंटियर और अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं जैसे कि वाटर स्टूडियो, मिलोफा फाउंडेशन जुड़े हैं।
  • ट्रायल और टेस्टिंग: पहले आरा में छोटे स्तर पर ट्रायल किया गया था, और अब बक्सर में फाइनल ट्रायल हो रहा है।
  • बाढ़ग्रस्त इलाकों के लिए वरदान: ये घर बाढ़ग्रस्त इलाकों के लिए एक सुरक्षित और स्थायी आश्रय के रूप में कार्य करेंगे।
  • आने वाले परिवर्तनों के अनुसार अदाप्टेबिलिटी: ये घर पानी में आने वाले परिवर्तनों के अनुसार खुद को ढालते रहेंगे।
  • स्थिति का मुकाबला: यह आवास परियोजना कठोर प्राकृतिक आपदाओं की स्थिति का मुकाबला कर सकती है।
  • स्वच्छता और पर्यावरण: यह फ्लोटिंग हाउस जीरो कचरा और जीरो कार्बन उत्सर्जन का होगा।
  • ऊर्जा संचारण: हवासौर ऊर्जा और लहरों से बिजली बनाने की तकनीक लगेगी।
  • प्राकृतिक खेती और पशुपालन: इसमें प्राकृतिक खेती और पशुपालन की भी सुविधा होगी।
  • खर्च की कटौती: खर्च कम कर इसे 2 लाख करने की योजना है।

Leave a Comment